वह हमारी सब अच्छाइयों और बुराइयों को जानता है । उससे कुछ भी छिपा नहीं है । वह जानता है कि हमारे रोग की दवा क्या है और हम पापियों का उद्धार कैसे हो सकता है । दीन बनो , क्योंकि वह दीनों पर दया करता है । अन्सारी ऑफ़ हैरात
हजरत यूसुफ़ जिसको बाइबल में जोसफ़ कहा गया है , बहुत सुंदर और बुद्धिमान था । उसके बड़े भाई उससे ईर्ष्या करते थे । दरअसल वे उससे घृणा करते थे क्योंकि वह बचपन से ही हर क्षेत्र में उनसे आगे रहता था । इस ईर्ष्या के कारण उन्होंने एक योजना बनायी कि उसे एक गुलामों के व्यापारी के पास बेच दिया जाये । उस व्यापारी ने उसे खरीदकर , एक बड़ी रक़म लेकर उसे मिस्र के बादशाह के पास बेच दिया ।
उस बादशाह की बेगम का नाम था जुलेखा । हज़रत यूसुफ़ की शक्ल देखकर वह उस पर मोहित हो गयी । एक दिन वह हज़रत यूसुफ़ को अपने महल के अंदर ले गयी , बाहर से दरवाज़े बंद कर दिये और अपना बुरा विचार प्रकट किया । अब हज़रत यूसुफ़ ने सोचा कि एक ओर तो मेरा ईमान जाता है और मालिक की दरगाह से सज़ा मिलती है , दूसरी ओर यह बादशाह की बेगम है , अगर इसका कहना नहीं मानता तो यह मुझ पर झूठा इलज़ाम लगाकर सुबह मुझे मरवा देगी , इसलिए मैं करूँ तो क्या करूँ ? यह सोच ही रहा था कि जुलेखा ने वहाँ पड़ी पत्थर की मूर्ति पर कपड़ा डालकर उसे ढक दिया ।
वह पत्थर की मूर्ति की पूजा किया करती थी । हज़रत यूसुफ़ ने देखा तो पूछा , ‘ यह क्या है ? ‘ उसने कहा , ‘ यह मेरा देवता है । मैं इसकी पूजा करती हूँ , इसलिए परदा डाला है ताकि यह देख न ले । ‘
हज़रत यूसुफ़ ने कहा , ‘ जिसकी तू पूजा करती है उसके ऊपर तो कपड़ा डाल दिया , वह तो अब नहीं देखता , लेकिन जो मेरा खुदा है वह तो हर जगह मौजूद है , सब कुछ देखता है । ‘ यह कहकर वह बाहर की ओर भागा । जुलेखा ने पीछे से कुर्ता पकड़ा , कुर्ता फट गया , लेकिन वह दौड़कर बाहर निकल गया ।
जुलेखा ने अपने पति बादशाह से शिकायत की कि यूसुफ़ ने मुझे छुआ है , यह बदमाश है , इसे फाँसी पर चढ़ा दो । बादशाह दुविधा में पड़ गया कि रानी की बात का यकीन करे कि उस सुंदर गुलाम का । इसलिए उसने तहक़ीक़ात की । यूसुफ़ से पूछा । उसने सच – सच बता दिया । फिर बादशाह ने अपने अमीरों , वज़ीरों से सलाह ली , तो उन्होंने कहा कि इसका एक ही पक्का सबूत है । बादशाह ने पूछा कि वह क्या ? उन्होंने कहा कि अगर कुर्ता आगे से फटा है तो यूसुफ़ की ग़लती है , अगर पीछे से फटा है तो यूसुफ़ भागा है और जुलेखा ने कुर्ता पकड़ा है , तब वह फटा है । जब देखा , पता चला कि उसका कुर्ता पीछे से फटा हुआ था । अब जुलेखा की शर्मनाक हरकत साबित हो गयी और हज़रत यूसुफ़ को छोड़ दिया गया ।
अगर हमारे अंदर यह ख़याल पक्का हो जाये कि वाक़ई ख़ुदा हर जगह हाज़िर – नाज़िर है , तो दुनिया में बहुत से बुरे कर्मों में कमी हो जाये ।