प्रेम से प्रेम , घृणा से घृणा

परमात्मा प्रेम है । जो प्रेम में डूबा हुआ है , वह परमात्मा में समाया हुआ है , और परमात्मा उसमें समाया हुआ है । सेंट जॉन

कहते हैं कि एक बार अकबर बादशाह और बीरबल कहीं जा रहे थे । कुछ फ़ासले पर उन्हें एक जाट आता नज़र आया । अकबर बादशाह ने बीरबल से कहा कि इसे देखकर अचानक मेरा मन कहता है कि इसे गोली मार दूं । देखें उसके दिल में मेरे लिए क्या विचार आते हैं ? जब वह जाट उनके नज़दीक आया तो बीरबल ने बादशाह की ओर इशारा करते हुए उस जाट से पूछा कि भाई , डरो न , सच – सच बताओ , जब तेरी नज़र इस आदमी पर पड़ी तो तेरे मन में क्या ख़याल आया था ? उस जाट ने कहा कि मेरा दिल चाहता था कि इस आदमी की दाढ़ी खींच लूँ । इस ख़याल की तरजुमानी ( पुष्टि ) हो गयी कि दिल को दिल से राह होती है ।

इसलिए कहते हैं कि अगर शिष्य गुरु को प्यार करेगा तो गुरु भी ज़रूर उसे प्यार करेगा ।

Published by Pradeep Th

अनमोल मनुष्य जन्म और आध्यात्मिकता

Leave a comment

Design a site like this with WordPress.com
Get started