जिस बाज़ीगर (परमात्मा) ने कठपुतलियों का खेल रचा होता है वे सारी कठपुतलियाँ उसके थैले में होती है वह अपनी कठपुतलियों को थैलें में से बाहर निकालता है और उनको टेबल पर यानी दुनिया में सजाकर खुद परदे के पीछे बैठ जाता है हर कठपुतली एक डोर से बँधी होती है पर समस्या यह हैContinue reading “बाज़ीगर और कठपुतलियांँ”