एक संत हुआ करते थे । उनकी इबादत या भक्ति इस कदर थीं कि वो अपनी धुन में इतने मस्त हो जाते थे की उनको कुछ होश नहीं रहता था । उनकी अदा और चाल इतनी मस्तानी हो जाती थीं । वो जहाँ जाते , देखने वालों की भीड़ लग जाती थी। और उनके दर्शनContinue reading “तू सच में बहुत दयालु हैं!”
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हज़रत जुनैद और घायल कुत्ता
मेरे संपूर्ण पवित्र पर्वत पर न वे किसी को चोट पहुँचायेंगे नष्ट करेंगे , क्योंकि धरती यहोवा ( प्रभु ) के ज्ञान से भरपूर रहेगी जैसे समुद्र पानी से भरा रहता है ।इसायाह जब हज़रत जुनैद बग़दादी क़ाबा को जा रहा था तो उसने रास्ते में एक कुत्ते को देखा , जो ज़ख़्मी हालत मेंContinue reading “हज़रत जुनैद और घायल कुत्ता”
संतों के सामने घमंड
होह सभना की रेणुका तउ आउ हमारे पास ॥131 गुरु अर्जुन देव शेख़ फ़रीद को बहुत कम आयु में ही रूहानियत की गहरी लगन थी । उन्होंने ख़्वाजा मुईनुद्दीन चिश्ती का नाम सुना हुआ था जो राजस्थान के एक शहर अजमेर में रहते थे । उनसे दीक्षा लेने जब वे अजमेर पहुँचे तो देखा किContinue reading “संतों के सामने घमंड”
महारानी द्रौपदी और महात्मा सुपच
साहिब के दरबार में केवल भक्ति पियार ॥ केवल भक्ति पियार साहिब भक्ती में राजी ।। पलटू साहिब महारानी द्रौपदी और महात्मा सुपच जब महाभारत की लड़ाई ख़त्म हुई तो भगवान कृष्ण ने पांडवों को बुलाकर कहा कि अश्वमेध यज्ञ कराओ , प्रायश्चित्त करो , नहीं तो नरकों में जाओगे । लेकिन तुम्हारा यज्ञ तबContinue reading “महारानी द्रौपदी और महात्मा सुपच”
सत्संग का अर्थ
सत्संग : ‘ सत् ‘ का मतलब है ‘ सत्य ‘ या ‘ सच्च ‘ , ‘ जीवित ‘ या ‘ जाग्रत ‘ , और ‘ संग ‘ का मतलब है ‘ साथ ‘ या ‘ सोहबत ‘ , यानी सदा कायम रहनेवाले पुरुष की सोहबत या संगति का नाम सत्संग है । सतगुरु सत्Continue reading “सत्संग का अर्थ”
धर्म – ग्रन्थों का महत्त्व
ग्रन्थों – पोथियों में महात्माओं की रूहानी मण्डलों की यात्रा का वर्णन और उनके निजी अनुभवों का उल्लेख है , जिनको हमारे मार्ग – दर्शन के लिए उन्होंने पुस्तकों में लिखा । हमारे दिल में उनके लिये इज़्ज़त है । उन्हें पढ़कर हमारे अन्दर किसी हद तक परमार्थ का शौक़ और मालिक से मिलने काContinue reading “धर्म – ग्रन्थों का महत्त्व”
विरहिणी आत्मा
विरहिणी आत्मा (संत कबीर साहिब की बानी) वै दिन कब आबैंगे भाइ । जा कारनि हम देह धरी है , मिलिबौ अंगि लगाइ ॥ टेक ॥ हौं जानू जे हिल मिलि खेलूँ , तन मन प्रॉन समाइ । या काँमना करौ परपूरन , समरथ हौ राँम राइ ॥ माँहि उदासी माधौ चाहै , चितवत रैंनिContinue reading “विरहिणी आत्मा”
ध्यान किसका करें
ध्यान किसका करें तीन चीजों का ध्यान हमारे रूहानी सफ़र में हमारा सहायक हो सकता है : . परमात्मा का ध्यान नाम या शब्द का ध्यान जो परमात्मा का क्रियात्मक रूप है गुरु का ध्यान जो परमात्मा का प्रकट रूप है . हमारे जीवन का उद्देश्य मालिक को देखना है , उसका सिमरन और उसकाContinue reading “ध्यान किसका करें”
सिमरन के रूप
सिमरन के रूप सिमरन संस्कृत के ‘ स्मृ ‘ धातु से बना है जिसका अर्थ है याद करना , किसी मन्त्र आदि को याद करना या बार – बार दोहराना । सिमरन में कई प्रकार के जाप शामिल हैं । कई लोग हाथों की अंगुलियों से , कई जबान से , कई कण्ठ से ,Continue reading “सिमरन के रूप”
बाहर मुखी साधना
संत दरिया मारवाड़ वाले बहुत से लोग पाठ पूजा, तीर्थ व्रत, दान पुण्य , घर बार त्याग कर जंगलों पहाड़ों में भटकना आदि बहार्मुखी क्रियाओं को भक्ति का साधन मान बैठते है। बाहरमुखी साधना के पीछे भाग रही दुनिया को सचेत करते हुए दरिया साहिब फरमाते है: दुनिया भरम बोराई । आतमराम सकल घट भीतरContinue reading “बाहर मुखी साधना”